ये कब समझोगे मेरे दोस्तों, दिल को लफजों की जरूरत नहीं होती.
ख़ामोशी सबकुछ कह देती है प्यार में इज़हार नहीं होता
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सुनकर ज़माने की बातें, तू अपनी अदा मत बदल,,
यकीं रख अपने खुदा पर, यूँ बार बार खुदा मत बदल…
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खुद से मिलने की भी फुर्सत नही अब मुझे..!! - और वो पगली औरो से मिलने का इलज़ाम लगा रही है
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सबके दिलों में*
*धडकना जरूरी नही होता.*
*साहब.*
*कुछ लोगों की आंखों में*
*खटकने का भी एक अलग मजा है*
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अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया;
तो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया!
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*यूँही छोटी सी बात पर*
*ताल्लुक़ात बिगड़ जाते है*
*मुद्दा होता है "सही क्या है"*
*और लोग "सही कौन" पर उलझ जाते है*I
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*ऐ जिन्दगी तू सच में बेहद खूबसूरत है*
*पर ये भी सच है तू अपनो के बिना बिल्कुल अच्छी नही लगती*
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मेरी खामोशी देखकर मुझसे ये ज़माना बोला,
तेरी संज़ीदगी बताती है तुझे हँसने का शौक़ था कभी….
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*वो भी क्या ज़िद्द थी जो तेरे-मेरे बीच एक हद थी..*
*मुलाकात मुकम्मल ना सही मुहब्बत बे-हद थी
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ना जाने वो दिन कब आएगा जब वो मेहंदी वाले हाथ मुझे उठाएंगे••*
और कहेगी जानु चलिए उठिए ना आज मम्मी के घर जानाहै..|
ख़ामोशी सबकुछ कह देती है प्यार में इज़हार नहीं होता
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सुनकर ज़माने की बातें, तू अपनी अदा मत बदल,,
यकीं रख अपने खुदा पर, यूँ बार बार खुदा मत बदल…
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खुद से मिलने की भी फुर्सत नही अब मुझे..!! - और वो पगली औरो से मिलने का इलज़ाम लगा रही है
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सबके दिलों में*
*धडकना जरूरी नही होता.*
*साहब.*
*कुछ लोगों की आंखों में*
*खटकने का भी एक अलग मजा है*
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अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया;
तो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया!
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*यूँही छोटी सी बात पर*
*ताल्लुक़ात बिगड़ जाते है*
*मुद्दा होता है "सही क्या है"*
*और लोग "सही कौन" पर उलझ जाते है*I
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*ऐ जिन्दगी तू सच में बेहद खूबसूरत है*
*पर ये भी सच है तू अपनो के बिना बिल्कुल अच्छी नही लगती*
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मेरी खामोशी देखकर मुझसे ये ज़माना बोला,
तेरी संज़ीदगी बताती है तुझे हँसने का शौक़ था कभी….
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*वो भी क्या ज़िद्द थी जो तेरे-मेरे बीच एक हद थी..*
*मुलाकात मुकम्मल ना सही मुहब्बत बे-हद थी
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ना जाने वो दिन कब आएगा जब वो मेहंदी वाले हाथ मुझे उठाएंगे••*
और कहेगी जानु चलिए उठिए ना आज मम्मी के घर जानाहै..|
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