ना पेशी होगी.. ना गवाह होगा,
जो भी उलझेगा "मोहब्बत" से ....वो सिर्फ तबाह होगा
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उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
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पुराने ज़ख्म भी अब काँटों से चुभने लगे है...
खामोशी में शब्द भी रंग बदलने लगे है...!!!
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कह दो हर वो बात…जो जरुरी है कहना,
क्योंकि...
कभी-कभी जिन्दगी भी… बेवक्त पूरी हो जाती है…!!
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खुशबू में डूब जायेंगी यादों की डालियाँ,
होंठों पे फूल रख के कभी सोचना मुझे....
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आदमी परखने की ये भी एक निशानी है.गुफतगू बता देगी कौन खानदानी है.
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वो जानबूझकर मेरे बाल बिगाड़ देती है,उसकी पूरी कोशिश है कि मैं किसी और को अच्छा न लगूँ...
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किताब मेरी पन्ने मेरे और सोच भी मेरी.....फिर मैंने जो लिखे वो ख्याल क्यों तेरे।
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तुम्हारे पिजोड़ी का सोना नहीं
दिल है हमारा खिलौना नहीं
कैसे खरीदो गे तुम इसे प्यार में
बिकते नहीं दिल ये बाजार में
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*सन्नाटा छा* गया *बटवारे* के *किस्से* में...
जब *माँ* ने पूछा *मैं* हूँ किसके *हिस्से* में.....!!
जो भी उलझेगा "मोहब्बत" से ....वो सिर्फ तबाह होगा
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उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
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पुराने ज़ख्म भी अब काँटों से चुभने लगे है...
खामोशी में शब्द भी रंग बदलने लगे है...!!!
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कह दो हर वो बात…जो जरुरी है कहना,
क्योंकि...
कभी-कभी जिन्दगी भी… बेवक्त पूरी हो जाती है…!!
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खुशबू में डूब जायेंगी यादों की डालियाँ,
होंठों पे फूल रख के कभी सोचना मुझे....
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आदमी परखने की ये भी एक निशानी है.गुफतगू बता देगी कौन खानदानी है.
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वो जानबूझकर मेरे बाल बिगाड़ देती है,उसकी पूरी कोशिश है कि मैं किसी और को अच्छा न लगूँ...
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किताब मेरी पन्ने मेरे और सोच भी मेरी.....फिर मैंने जो लिखे वो ख्याल क्यों तेरे।
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तुम्हारे पिजोड़ी का सोना नहीं
दिल है हमारा खिलौना नहीं
कैसे खरीदो गे तुम इसे प्यार में
बिकते नहीं दिल ये बाजार में
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*सन्नाटा छा* गया *बटवारे* के *किस्से* में...
जब *माँ* ने पूछा *मैं* हूँ किसके *हिस्से* में.....!!
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