*ज़माना वफादार नहीं हुआ तो क्या हुआ*
*धोकेबाज़ तो हमेशा अपने ही होते हैं*
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बस एक ही.. ऐसी नजर.. पूरे केरियर को
.. बरबाद करने के लिए.. काफी है..
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_*अच्छे इंसान के अंदर भी एक बुरी आदत होती है,*_
_*वो सभी इंसानों को अच्छा समझ लेता है.....!!!!!*_
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मोहब्बत का वो पल सबसे खूबसूरत होता है...जब देखना"इबादत"...और छूना "गुनाह " लगता है..
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*याद रखना भी हिम्मत का काम है , क्योंकि भूल जाना तो आजकल आम है।*
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*तुम*
*याद करते हो,*
*कुछ पल के लिए हमें....!*
*हम*
*एक पल के लिए भूल नहीं पाते है तुम्हें..!!*
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पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास...
"बच गया है क्या फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास.".!!
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पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास...
"बच गया है क्या फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास.".!!
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*हमें कोई ना पहचान पाया दोस्तों,,,*
*कुछ अंधे थे कुछ अंधेरों में थे...*
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*जहाँ हो, जैसी हो, वहां वैसी ही रहना तुम...!!*
*तुम्हें पाना ज़रूरी नहीं, तुम्हारा होना ही काफ़ी है....!!*
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काश ........
कहीं से मिल जाते
वो अलफ़ाज़ हमे भी ....
जो तुझे बता सकते कि
हम शायर कम, तेरे दीवाने ज्यादा है ....!!
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*कल रात चाँद हुबहु तुम्हारे जैसा था..*
*वही हुस्न..वही ग़ुरुर..और वैसी ही दुरी..*
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*ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की*
*आरज़ू,*
*हम किससे करें बात कोई*
*बोलता ही नहीं...!!*
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*क्या शायरी करू मैं तेरे वास्ते..!!*
*सदा खुशियों से भरे रहे तेरे रास्ते...!!!*
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*शायरों से ताल्लुक रखो*
*तबियत ठीक रहेगी*
*ये वो हकीम हैं जो*
*अलफ़ाज़ों से ईलाज करते हैं...*
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*ना जाने कौनसी, दौलत हैं..!*
*कुछ दोस्तों के ,लफ़्जों में..!*
*बात करते है तो.!*
*दिल ही खरीद लेते हैं ..!*
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*बुरा वक़्त सबसे बड़ा*
*जादूगर है*,
*एक ही पल में सारे चाहने वालों के* ,,
*चेहरे से पर्दा हटा देता है*
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*ले रहे थे मोहब्बत के बाजार मे इशक की चादर,,*
*पीछे से आवाज आयी कफन भी ले लो जरूरत पड़ेगी*
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*बुरा वक़्त सबसे बड़ा जादूगर है ,*
*एक ही पल में सारे चाहने वालों के चेहरे से पर्दा हटा देता है।~*
*धोकेबाज़ तो हमेशा अपने ही होते हैं*
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बस एक ही.. ऐसी नजर.. पूरे केरियर को
.. बरबाद करने के लिए.. काफी है..
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_*अच्छे इंसान के अंदर भी एक बुरी आदत होती है,*_
_*वो सभी इंसानों को अच्छा समझ लेता है.....!!!!!*_
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मोहब्बत का वो पल सबसे खूबसूरत होता है...जब देखना"इबादत"...और छूना "गुनाह " लगता है..
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*याद रखना भी हिम्मत का काम है , क्योंकि भूल जाना तो आजकल आम है।*
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*तुम*
*याद करते हो,*
*कुछ पल के लिए हमें....!*
*हम*
*एक पल के लिए भूल नहीं पाते है तुम्हें..!!*
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पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास...
"बच गया है क्या फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास.".!!
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पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास...
"बच गया है क्या फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास.".!!
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*हमें कोई ना पहचान पाया दोस्तों,,,*
*कुछ अंधे थे कुछ अंधेरों में थे...*
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*जहाँ हो, जैसी हो, वहां वैसी ही रहना तुम...!!*
*तुम्हें पाना ज़रूरी नहीं, तुम्हारा होना ही काफ़ी है....!!*
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काश ........
कहीं से मिल जाते
वो अलफ़ाज़ हमे भी ....
जो तुझे बता सकते कि
हम शायर कम, तेरे दीवाने ज्यादा है ....!!
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*कल रात चाँद हुबहु तुम्हारे जैसा था..*
*वही हुस्न..वही ग़ुरुर..और वैसी ही दुरी..*
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*ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की*
*आरज़ू,*
*हम किससे करें बात कोई*
*बोलता ही नहीं...!!*
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*क्या शायरी करू मैं तेरे वास्ते..!!*
*सदा खुशियों से भरे रहे तेरे रास्ते...!!!*
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*शायरों से ताल्लुक रखो*
*तबियत ठीक रहेगी*
*ये वो हकीम हैं जो*
*अलफ़ाज़ों से ईलाज करते हैं...*
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*ना जाने कौनसी, दौलत हैं..!*
*कुछ दोस्तों के ,लफ़्जों में..!*
*बात करते है तो.!*
*दिल ही खरीद लेते हैं ..!*
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*बुरा वक़्त सबसे बड़ा*
*जादूगर है*,
*एक ही पल में सारे चाहने वालों के* ,,
*चेहरे से पर्दा हटा देता है*
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*ले रहे थे मोहब्बत के बाजार मे इशक की चादर,,*
*पीछे से आवाज आयी कफन भी ले लो जरूरत पड़ेगी*
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*बुरा वक़्त सबसे बड़ा जादूगर है ,*
*एक ही पल में सारे चाहने वालों के चेहरे से पर्दा हटा देता है।~*
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