झूठ कहूँ तो लफ़्ज़ों का दम घुटता है,*
*सच कहूँ तो लोग ख़फा हो जाते हैं..!*
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*अमीर तो हर गली में मिल जाते हैं साहब*
*पर ये जमीर वाले बमुश्किल ही मिला करते हैं*
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हमने अपनी आखों में ज़ज्ब कर लिए आंसू..
.पत्थर पे गिरते ,तो ज़ख्म हो गए होते.
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*ये बात मुझे आज तक समझ नहीं आई*
*तुम्हे मैं सुकून बुलाऊ या बेचैनी*
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लाखो का हिसाब उंगलीयो पर नही होता
तहजीब का असर जंगलीयो पर नही होता...
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: ये इश्क, प्यार मोहब्बत शौक अमीरो के है साहेब...
हम गरीब तो केवल खेलने के काम आते है इनके
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Www.dardkidastan.com
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*दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो*
*धूल हटती है तो आईने भी चमक उठते हैं...!!*
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*दोस्ती किससे कब हो जाये अंदाज़ा नहीं होता,*
*ये वो घर है जिसका कोई दरवाज़ा नहीं होता...!!*
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मैं जब भी टूटता हूँ, तुझे ढूंढता हूँ....!!
तू हमेशा कहती थी ना कि "हम एक हैं
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*ये सुर्ख लब, ये रुखसार, और ये मदहोश नज़रें..*
*इतने कम फासलों पर तो मयखाने भी नहीं होते..*
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*याद महबूब की.... और... शिद्दत गर्मी की...!!!*
*देखते हैं... हमें कौन... बीमार करता है...!!!!*
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बेबसी मार देती है वरना,
जिना तो हर शख्स चाहता है
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बिक चुके थे वो जब हम खरीदने के काबिल हुए ...!!
एक ज़माना गुजर गया हमे अमीर होते होते
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*जब दिल ही काला हो,*
*तो खुबसूरत चेहरों का क्या करना !!*
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*मैं खुश हूँ कि कोई मेरी...*
*बात तो करता है...*
*बुरा कहता है तो क्या हुआ...*
*वो याद तो करता है ...॥*
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: इक मेरी सादगी ही है
जिसमें
कुछ घोला नहीं जा सकता..
सिवाय
तुम्हारे इश्क़ के....
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रंग गुलाबी लगाऊ तो भी कैसे ,
मेहबूब का तो गाल ही गुलाबी हैं.
*सच कहूँ तो लोग ख़फा हो जाते हैं..!*
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*अमीर तो हर गली में मिल जाते हैं साहब*
*पर ये जमीर वाले बमुश्किल ही मिला करते हैं*
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हमने अपनी आखों में ज़ज्ब कर लिए आंसू..
.पत्थर पे गिरते ,तो ज़ख्म हो गए होते.
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*ये बात मुझे आज तक समझ नहीं आई*
*तुम्हे मैं सुकून बुलाऊ या बेचैनी*
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लाखो का हिसाब उंगलीयो पर नही होता
तहजीब का असर जंगलीयो पर नही होता...
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: ये इश्क, प्यार मोहब्बत शौक अमीरो के है साहेब...
हम गरीब तो केवल खेलने के काम आते है इनके
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*दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो*
*धूल हटती है तो आईने भी चमक उठते हैं...!!*
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*दोस्ती किससे कब हो जाये अंदाज़ा नहीं होता,*
*ये वो घर है जिसका कोई दरवाज़ा नहीं होता...!!*
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मैं जब भी टूटता हूँ, तुझे ढूंढता हूँ....!!
तू हमेशा कहती थी ना कि "हम एक हैं
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*ये सुर्ख लब, ये रुखसार, और ये मदहोश नज़रें..*
*इतने कम फासलों पर तो मयखाने भी नहीं होते..*
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*याद महबूब की.... और... शिद्दत गर्मी की...!!!*
*देखते हैं... हमें कौन... बीमार करता है...!!!!*
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बेबसी मार देती है वरना,
जिना तो हर शख्स चाहता है
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बिक चुके थे वो जब हम खरीदने के काबिल हुए ...!!
एक ज़माना गुजर गया हमे अमीर होते होते
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*जब दिल ही काला हो,*
*तो खुबसूरत चेहरों का क्या करना !!*
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*मैं खुश हूँ कि कोई मेरी...*
*बात तो करता है...*
*बुरा कहता है तो क्या हुआ...*
*वो याद तो करता है ...॥*
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: इक मेरी सादगी ही है
जिसमें
कुछ घोला नहीं जा सकता..
सिवाय
तुम्हारे इश्क़ के....
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रंग गुलाबी लगाऊ तो भी कैसे ,
मेहबूब का तो गाल ही गुलाबी हैं.
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